बरसाना

                                                                                           !! श्री हरिदास !!

  • बरसाना में स्थित ब्रह्मपर्वत की महिमा अपार और अकथनीय हे, यहाँ “ श्रीकृष्ण भगवान “ का भावनात्मक ह्रदय स्थल- मतलब “ श्रीराधा रानी का विशाल मंदिर हे ! राधा रानी का जन्म यहाँ से कुछ दूर रावल ग्राम में हुआ था !
 
  • बरसाना में राधा रानी का मन्दिर पर्वत कि प्रमुख ऊंचाई पर स्थित हे जहाँ वृद्ध बुजुर्गो के लिए पीछे से अलग साधन कि सुविधा हेतु अलग से पहाड को काटकर सड़क बने हुई हे ! साधारणत यहाँ आने के लिये लगभग २५० बड़ी बड़ी सीढियों को पार करके आना होता हे ! मानगढ़, मौरकुटी, नंदग्राम, चरण पहाड़ी, टेरकदम्ब सब यही आस पास ही स्थित हे ! यहाँ श्रद्धा और मन से आने वाले व्यक्ति को लगभग दो दिन का ठहराव चाहिए !
 
  • बरसाना मंदिर अद्भुत छठा और घटाओं का अकाल्पनिक दर्शन करवाता हे ! यहाँ आज भी प्राचीन तरीको से श्रीराधा रानी का भोजन प्रसाद और सेवा पूजा के सारे कार्य किए जाते हे ! यहाँ मंदिर में लघु श्री विग्रह के स्वरुप में राधा रानी के दर्शन होते हे ! यहाँ नित्यप्रति आनंदमयी – प्रेममयी – करुणामयी “ श्रीराधा रानी जी के सुलभ दर्शन होते हे !  हमने स्वंय संतो के वचनों से सुना था कि राधा रानी पर जिसका भाव आ गया राधा रानी उसे रंक से राजा, मतलब फर्श से अर्श तक – अर्थात रोड से करोडपति बनाने में ज्यादा समय नहीं लगाती , लेकिन परीक्षाये बहुत कठिन होती हे, और आज का कलयुगी इंसान दुखो को सहने की शक्ति  को लगभग भूल सा गया हे ! जबकि सत्य मात्र और मात्र सिर्फ इतना सा हे कि समस्त दुखो से थक हार कर इंसान अंत में ईश्वर कि शरण में आता हे , तो क्यों न वह मुर्ख इंसान, सच में समझदार बनकर पहले ही श्री राधा रानी के चरणों में सर्मपित हो जाए ! 
 
  • क्यों कि आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, थक हार कर आना तो ईश्वर के चरणों में ही हे ! उदाहरण के तौर पर हर अच्छा से अच्छा सुरमा डाक्टर भी मुर्दा होने के पहले यही कहता हे कि अब सब ईश्वर के हाथ में हे ! तो क्यू न हम उस शब्द तक हमारे जीवन को आने ही न दे ! क्यू न हम हमारे ही शरीर कि अस्पताल में तड़प तड़प कर मरने कि जगह हम हमारी ही मौत की एसी शानदार तेयारी करे, जिसके कारन हमे अच्छे मंदिर या पवित्र स्थान पर मौत की प्राप्ति हो ! क्यों कि हज यात्रा कि भगदड़ हो या केदारनाथ का प्रलय, वह मौत भी क्या मौत ? 
 
  • जिसमे हमारा ही शरीर सड़ता रहे , गलता रहे ! लेकिन  इसके लिए जरुरी हे ईश्वर के चरणों की शरण ! और मन कि पवित्रता, नहीं तो चाहो जितने पाठ पूजा करलो, दान धर्म कर दो , क्कुछ भी काम नहीं आने वाला, जब रास्ता ही गलत हे तो मंजिल मिलने का तो प्रश्न ही नहीं उठता ! ( कड़वा हे लेकिन अटल सत्य हे )

                                                                                   !! श्री राधा रानी की जय !!

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